जो भी मौसम हो, हम हमेशा इंफेक्शन से सुरक्षित रहने, बीमार पड़ने और डॉक्टर के पास जाने के लिए सावधानी बरतते हैं। गर्मी, सर्दी और बारिश-ये सभी मौसम अपने साथ कुछ खुशी और कुछ निराशा लेकर आते हैं। जल्द ही बारिश हर जगह दस्तक देगी परन्तु मौज-मस्ती और उत्साह के साथ वायरल इंफेक्शन, खांसी-सर्दी और बदहज़मी की भी चिंता बढ़ जाएगी।
इस मौसम में हमें तला हुआ खाना खाने का बहुत मन करता है पर ये हमारे लिए बीमारी का कारण बन सकता है क्योंकि यह हमारे पाचन तंत्र पर भारी होते हैं और हमें इससे दस्त और बदहज़मी जैसे रोग हो सकते हैं। व्यायाम भी इस मौसम में कम हो जाता है जिसके कारण हमारा मेटाबोलिस्म प्रभावित होता है और हम सुस्त और आलसी बन जाते हैं। इतना ही नहीं, हमारे आस-पास की हवा में बैक्टीरिया और वायरस के लगातार संपर्क से हमारी प्रतिरक्षा कमजोर हो जाती है और हमारे बीमार पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, हमें मॉनसून में अपने आहार और स्वास्थ्य दोनों का बहुत ज़्यादा ध्यान रखने की आवश्यकता है।
तो हम अपने आहार के साथ-साथ स्वास्थ्य का कैसे ख्याल रख सकते हैं? सबसे अच्छा तरीका है की हम रोज़ाना संतुलित आहार, बहुत सारे फल, सब्जियां और पानी लेते रहें ताकि हमें पूरा पोषण प्राप्त हो और हमें पानी की कमी ना हो । हमारे लिये अपने पाचन का ज़्यादा ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है जो मॉनसून में स्वाभाविक रूप से कमजोर हो जाता है। इसलिए हमें हल्का खाना खाना चाहिए जिससे पचाने में आसानी हो।
अपने दैनिक आहार में प्रोबायोटिक्स को शामिल करने से आंत के अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ने में मदद मिलती है जो हानिकारक बीमारी से लड़ते हैं और हमें उनसे बचाते हैं। इतना ही नहीं, प्रोबायोटिक्स भोजन के पाचन में सुधार करने और आवश्यक पोषक तत्वों जो आमतौर पर इस मौसम में कम हो जाते हैं के बेहतर अवशोषण में मदद करते हैं। ये इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाकर इन्फेक्शन्स से लड़ने में भी मदद करते हैं और स्वास्थ्य को बेहतर और सुरक्षित रखते हैं।
इस मॉनसून में प्रोबायोटिक्स लेने के और भी अन्य कारण हैं : –
1. दस्त और फ़ूड पॉइज़निंग से सुरक्षा
न केवल मॉनसून बल्कि साल में कभी भी डायरिया या फूड पॉइज़निंग होना सबसे खराब इन्फेक्शन माना जाता है। यह न केवल पोषक तत्वों को कम करता है बल्कि आपके शरीर में पानी की कमी से आपको कमज़ोर बना देता है। प्रोबायोटिक्स दस्त पैदा करने वाले आंत के हानिकारक बैक्टीरिया और उनके विषैले पदार्थों के विकास को कम करते हैं। यह एलन और उनके सहयोगियों द्वारा अध्ययन किया गया था और 2011 में Cochrane review में प्रकाशित किया गया था। इस अध्ययन में 8000 से अधिक लोगों को शामिल किया गया और दिखाया गया कि जिन लोगों ने प्रोबायोटिक्स लिया वे दस्त से कम पीड़ित थे। भारत में कोलकाता में 3500 से अधिक बच्चों पर एक बहुत बड़े अध्ययन ने भी इसी तरह के परिणाम दिखाए। जिन बच्चों ने प्रोबायोटिक्स ड्रिंक का सेवन किया, वे उन बच्चों की तुलना में दस्त से कम प्रभावित थे जिन्होंने प्रोबायोटिक्स का सेवन नहीं किया था। यह अध्ययन 2011 में एपिडेमियोलॉजी एंड इंफेक्शन में प्रकाशित हुआ था और यह भारत में किए गए सबसे बड़े अध्ययनों में से एक है।
2. एंटीबायोटिक्स दवाओं के साथ प्रोबायोटिक्स
हम जितनी भी कोशिश करते हैं, हम में से अधिकांश कम से कम एक बार मॉनसून में बीमार पड़ जाते हैं। फिर हम डॉक्टर के पास जाते हैं जो अक्सर इन्फेक्शन्स से छुटकारा दिलाने के लिए हमें एक एंटीबायोटिक तो ज़रूर देता हैं हालांकि, एंटीबायोटिक्स केमिकल्स हैं; वे अपने साइड इफेक्ट्स के साथ आते हैं और खराब और अच्छे बैक्टीरिया दोनों को नष्ट कर देते हैं। अच्छे बैक्टीरिया की कमी पाचन, इम्युनिटी और हमारी संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। प्रोबायोटिक्स, एंटीबायोटिक्स दवाओं के साथ या बाद में लेने से आंत में अच्छे बैक्टीरिया का स्तर बढ़ता है और पाचन और इम्युनिटी दोनों बेहतर होती हैं।
3. प्रोबायोटिक्स सर्दी और एलर्जी के खतरे को भी कम करते हैं
मॉनसून की शुरुआत के साथ आप चारों ओर खांसी और छींकने की आवाज़े सुन सकते हैं। यह आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि हमारे आस पास की हवा वायरस और बैक्टीरिया से भरी होती है। यह बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है कि आपकी प्रतिरक्षा इन रोग फैलाने वाले जीवाणु से लड़ने और उन्हें दूर करने के लिए काफी मजबूत हो। जब प्रोबायोटिक्स का नियमित रूप से सेवन किया जाता है तो विशेष रूप से उन लोगों की इम्युनिटी को मदद मिलती है जिन्हें सर्दी खांसी जैसे रोग आसानी से हो जाते हैं। बच्चे और बुजुर्ग अक्सर मॉनसून के मौसम में इन रोगों से सबसे अधिक पीड़ित होते हैं और नियमित रूप से प्रोबायोटिक्स का सेवन करके अत्यधिक लाभ उठा सकते हैं। जापान और फिनलैंड के अध्ययनों से पता चला है कि प्रोबायोटिक्स का नियमित रूप से सेवन करने पर वायरल इन्फेक्शन्स और एलर्जी के जोखिम को कम किया जा सकता है।