भारत में बदलते परिदृश्य के साथ जहां जीवन शैली की बीमारियां बढ़ रही हैं, लगभग हर दूसरा व्यक्ति स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रहा है और सबसे अच्छे भोजन विकल्प की तलाश कर रहा है। यह आश्चर्य की बात नहीं है कि सुपरमार्केट में अलमारियां स्वास्थ्य खाद्य पदार्थों से भर गई हैं और मेरे दोस्तों सहित अधिकांश लोग लगातार अच्छे पोषण के बारे में बात कर रहे हैं। उनका तर्क है की बहुत ज़्यादा चिकनाई वाला भोजन शरीर को नुकसान पहुंचाता है और बहुत अधिक नमक अस्वास्थ्यकर है। यह नई मानसिकता ‘ईट राइट मूवमेंट’ से जुड़ी है और भारतीए जंसख्या के स्वास्थ्य में सुधार लाने का वादा करती है।
हालांकि, हम कभी-कभी भूल जाते हैं की यह भोजन केवल तभी उपयोगी होगा जब हमें इससे सभी पोषक तत्व मिलेंगे। एक ऐसी स्तिथि के बारें में सोचें जहां एक पेड़ की जड़ें कमज़ोर होती हैं और वह पेड़ के विकास के लिए पानी ओर खनिजों को अवशोषित करने में असमर्थ हो जाती हैं। उसी तरह से, हम जो भी खाते हैं वह सब हमारी आंतों द्वारा पचता है और अवशोषित होता है – यदि हमारी आँतें आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित करने के लिए स्वस्थ और मज़बूत नहीं हैं, तो हम जो भी खातें हैं, हम कभी भी उस भोजन की अच्छाई और लाभ प्राप्त करने मे असफल रहतें है।
यह आश्चर्यजनक है लेकिन आंतों के स्वास्थ्य को तय करने में बैक्टीरिया बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे आंतों में लगभग 1.5 किलो बैक्टीरिया होते हैं जो हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन को पचाने में मदद करते हैं, यह आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि हमें हर दिन स्वस्थ और सक्रिय रहने के लिए ऊर्जा मिलती रहे।
- ये बैक्टीरिया आयरन, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के अवशोषण में भी मदद करते हैं, जिसकी कमी से हमारी हड्डियां कमज़ोर हो जाती है ओर हमें एनीमिया भी हो सकता है।
- इतना ही नहीं, वे आंत की गति को नियंत्रित करते हैं और और कब्ज़ और दस्त के खतरे को कम करतें हैं।
लंबे समय तक कब्ज़ रहने से आंतों में विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं जो रक्त द्वारा अवशोषित होतें है और कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
असल में ये जीवाणु आपके मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति को तय करने में भी महत्वपूर्ण हैं क्यूंकी कई विश्वसनीय अध्ययनों से पता चला है की स्वस्थ आतों ओर हमारे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली के बीच एक महत्वपूर्ण सबंध है। दिलचस्प बात यह है की हमारी आंतों द्वारा ‘हैप्पी हॉर्मोन’ (serotonin) का 2/3 भाग निर्मित किया जाता है। इसलिए, हमारी आंतों का स्वास्थ्य उसके भीतर मौजूद अच्छे और बुरे जीवाणुओं पर निर्भर करता है।
एंटिबयोटिक्स का सेवन, व्यस्त जीवन शैली, कभी-कभी ओवरईटिंग, और तनाव अच्छे बैक्टीरिया की संख्या को कम कर सकतें हैं। लोग इस वजह से कमज़ोर पाचन तंत्र से पीड़ित हो जाते हैं और अक्सर कब्ज़, बदहज़मी और एसिडिटी की शिकायत करते हैं। इतना ही नहीं, हमारी आंतों में शरीर की लगभग 70% प्रतिरक्षा कोशिकाएं भी होती हैं जो हमें सुरक्षित रखती हैं, इनके स्तर में गिरावट के परिणामस्वरूप हमें सर्दी, खांसी और एलर्जी हो सकती है।
अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाने और आंतों को स्वस्थ और मज़बूत रखने का सबसे अच्छा तरीका है की हम हर रोज़ प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थों का सेवन करें। ऐसे खाद्य पदार्थों में पर्याप्त संख्या में अच्छे बैक्टीरिया (1 अरब से अधिक) होते हैं, जिसकी वजह से हमारी आँतें सही से कार्य करने मे सक्षम रहतीं हैं।
हालांकि, यह मल के साथ हमारे शरीर से बाहर निकल जाते हैं इसलिए इनका स्वास्थ लाभ उठाने के लिए इनका हर रोज़ नियमित रूप से सेवन करना आवयशक है। प्रोबायोटिक्स न केवल बेहतर पाचन स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि प्रोबायोटिक्स का लाभ तनाव को कम करने, एंटिबयोटिक्स के हानिकारक प्रभावों पर काबू पाने और कैंसर के जोखिम को कम करने में भी देखा गया है।
जैसा कि एक मुहावरा है, टैंगो डांस करने के लिए दो भागीदारों की आवश्यकता होती है- एक अच्छी तरह से संतुलित आहार और एक स्वस्थ आंत लंबे और सुखी जीवन का मंत्र है।